वे दिखते नहीं हैं साधारण ज़रूर,
शिकार किसी न किसी क्षय का,
लोग सोचते हैं कि वे हैं मजबूर,
गुप्त में आलोचना करते हैं इस विषय का।
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लेकिन एक द्वार के बंद होते ही
खुल जाता है दूसरा,
यही प्रकृति का चक्र है।
इंसान खुद ही का बनता है सहारा
और ढूंढ लेता अवसरों को सर्वत्र है।
हर मनुष्य जो किसी
असमर्थता से पीड़ित है,
वह कुदरत के कुछ
अद्भुत शक्तियों से भी सुसज्जित है।
इतिहास गवाह है इनके साहस का,
और यही वजह है
कि इन्हीं में से कई ने
स्वयं इतिहास भी रचा हैं।
जहाँ हेलेन केलर ने
बग़ैर सभी इंद्रियों के सहारे
समस्त संसार को जीना सिखाया,
वहीं कई प्रतियोगी
तिरंगा लहराते शूरवीरों से हारे,
एवं पैरालम्पिक खेलों में भारत ने
सफलता का ऐतिहासिक पाठ पढ़ाया।
आखिर पक्षाघात ने कब
विज्ञान की ऊंचाइयों को
छूने से रोका स्टीफ़न हॉकिंग को?
क्या ऐसा किसी को देखा हैं आपने
जिसने सुधा चंद्रन के अपूर्व कामयाबी
के बारे में न सुना हो?
ऐसे ही कई अनगिनत सितारें हैं आसपास हमारे,
ज़िंदगी से जीतते हैं जो हर रोज़, हमेशा।
रग़ों में जिनके बहते हैं अंगारें
और जो दूसरों तक सदा पहुंचाते हैं
दृढ़ निश्चय का संदेशा।
इन्हीं से प्रेरित है यह कविता,
जो कालग्रस्त होने के बावजूद
स्वयं बनें 'अनंत काल'।
रहें जो सदा अपराजित,
दिखाएँ हमेशा जो क्षमता,
पीढ़ी दर पीढ़ी
दिए जाएंगे जिनके मिसाल।
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